माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सितंबर, 2019 में खुरपका और मुंहपका रोग और ब्रूसेलोसिस के नियंत्रण के लिए 13,343.00 करोड़ रु. के परिव्यय के साथ पाँच वर्षों (2019-20 से 2023-24 तक) के लिए शुरू किया गया राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत एफएमडी के लिए गोपशु, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी का 100% और ब्रुसेलोसिस के लिए 4-8 महीने की आयु की बोवाइन मादा बछियों का 100% टीकाकरण किया जाना है।
कार्यक्रम के उद्देश्य
एफएमडी और ब्रूसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) का समग्र उद्देश्य टीकाकरण के द्वारा 2025 तक एफएमडी का नियंत्रण और 2030 तक इसका उन्मूलन करना है। इसके परिणामस्वरूप घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और अंततः दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी। पशुओं में गहन ब्रुसेलोसिस नियंत्रण कार्यक्रम की परिकल्पना ब्रूसेलोसिस के नियंत्रण के लिए की गई है जिसके परिणामस्वरूप पशुओं और मनुष्यों दोनों में, इस बीमारी का प्रभावी प्रबंधन होगा।
एफएमडी और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है जहां राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को केंद्र सरकार द्वारा 100% धनराशि प्रदान की जाएगी।
एफएमडी और ब्रुसेलोसिस के लिए एनएडीसीपी के तहत प्रमुख गतिविधियाँ • बोवाइनों, जुगाली करने वाले छोटे पशुओं (भेड़-बकरियों) और सूअरों की पूरी अतिसंवेदनशील आबादी का छमाही अंतराल पर टीकाकरण करना (एफएमडी के विरुद्ध व्यापक टीकाकरण) • बोवाइन बछड़ों का प्राथमिक टीकाकरण (4-5 माह की आयु) • टीकाकरण से एक महीने पहले डि-वॉर्मिंग करना • कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए राज्य पदाधिकारियों के उन्मुखीकरण सहित राष्ट्रीय, राज्य, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर प्रचार और जन जागरूकता अभियान • ईयर-टैगिंग, पंजीकरण और डेटा अपलोड करके लक्षित पशुओं की पहचान करना और पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क (आईएनएपीएच) के पशु स्वास्थ्य मॉड्यूल में डेटा अपलोड करना • पशु स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से टीकाकरण का रिकॉर्ड रखना • पशुओं की आबादी की सीरो-निगरानी/सीरो-मोनिटरिंग करना • कोल्ड कैबिनेट (आइस लाइनर्स, रेफ्रिजरेटर इत्यादि) और एफएमडी वैक्सीन की खरीद करना • प्रकोप के मामले में जांच और वायरस आइसोलेशन और टाइपिंग • अस्थायी संगरोध/चेकपोस्ट के माध्यम से पशु आवागमन की रिकॉर्डिंग/विनियमन • टीकाकरण-पूर्व और टीकाकरण के बाद के नमूनों का परीक्षण • कार्यक्रम के प्रभाव के मूल्यांकन सहित डेटा का सृजन और नियमित निगरानी करना • टीकाकार को पारिश्रमिक प्रदान करना जो पशु डेटा प्रविष्टि सहित प्रति टीकाकरण खुराक के लिए 3 रु. और ईयर-टैगिंग के लिए 2 रु. प्रति पशु से कम नहीं होना चाहिए।