• पशुपालन और डेयरी विभाग
  • DEPARTMENT OF ANIMAL HUSBANDRY AND DAIRYING
  • भारत सरकार GOVERNMENT OF INDIA
    मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying

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ANIMAL HEALTH SYSTEM SUPPORT FOR ONE HEALTH
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Engaging an Agency to Prepare State Strategic Plans for World Bank Supported AHSSOH Programme K-11053(5311)/1/2023-LH(E-23894) CorrigendumNew.pdf
Request For Proposal (Rfp) For Engaging An Agency To Prepare State Strategic Plans For World Bank Supported Ahssoh Programme - RFPSSP.pdf
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण

पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (एलएच और डीसी) योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो पशु रोगों के नियंत्रण और निवारण के लिए केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करके पशुपालन के विकास में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रयासों को पूरित करती है। यह 10 वीं पंचवर्षीय योजनावधि से जारी है। नए घटकों को शामिल करने और मौजूदा घटकों को संशोधित करके 11 वीं योजना और 12 वीं योजना अवधि के दौरान योजना को संशोधित किया गया था। क्लासिकल स्वाइन ज्वर नियंत्रण कार्यक्रम को पूर्वोत्तर क्षेत्र में फोकस किया जा रहा है, जबकि अन्य रोग नियंत्रण कार्यक्रमों को पूरे देश में लागू किया जा रहा है।


केंद्र और राज्य के वित्त पोषण के साथ योजना के घटकों का विवरण निम्नानुसार है: 

(1) पशु रोग नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी): राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को टीकाकरण द्वारा पशुधन और मुर्गी पालन के आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण और ज़ूनोटिक रोगों के नियंत्रण के लिए, मौजूदा राज्य पशु चिकित्सा जैविक उत्पादन इकाइयों और मौजूदा रोग निदान प्रयोगशालाओं की मजबूती के साथ-साथ पशु चिकित्सकों और पैरा-पशु चिकित्सकों को सेवा के दौरान प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। कैनाइन रेबीज के खिलाफ टीकाकरण के लिए और गोपशुओं और भैंसों में एंडो-परजीवी के नियंत्रण के लिए भी निधियां प्रदान की जाती हैं। केंद्र:राज्य के बीच निधियन पैटर्न 60:40 के अनुपात में है सिवाय पूर्वोत्तर राज्यों और 3 हिमालयी क्षेत्र को छोड़कर जहां यह 90:10 के अनुपात में है। संघ राज्य क्षेत्रों हेतु प्रशिक्षण और आकस्मिक विदेशी रोगों के नियंत्रण और प्रशिक्षण/कार्यशालाओं के संचालन के लिए केंद्रीय सहायता 100% है। पक्षियों को मारने, संक्रमित पशुओं के उन्मूलन, परिचालन लागत सहित फ़ीड/अंडों को नष्ट करने के लिए के लिए किसानों को मुआवजे के रूप में (केंद्र: राज्यों के बीच 50:50) भी अनुदान प्रदान किया जाता है।

(2) पेस्ट डेस पेटिट्स रूमीनेंट्स नियंत्रण कार्यक्रम (पीपीआर-सीपी): इस कार्यक्रम को वर्तमान में सभी अतिसंवेदनशील भेड़ और बकरियों का टीकाकरण करके पूरे देश में लागू किया गया है, जिसके लिए टीकाकरण और निगरानी हेतु केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। केंद्र:राज्य के बीच निधियन पैटर्न 60:40 के अनुपात में है सिवाय पूर्वोत्तर राज्यों और 3 हिमालयी क्षेत्र को छोड़कर जहां यह 90:10 के अनुपात में है। संघ राज्य क्षेत्रों को 100% केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

(3) पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और मौजूदा का सुदृढ़ीकरण (ईएसवीएचडी) राज्यों को नए पशुचिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों को स्थापित करने में मदद करने के साथ-साथ चल रहे मोबाइल पशु चिकित्सा एम्बुलेंसों सहित मौजूदा को मजबूत/सुसज्जित करने के लिए, विभाग इस घटक के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करता है। केंद्र:राज्य के बीच निधियन पैटर्न 60:40 के अनुपात में है सिवाय पूर्वोत्तर राज्यों और 3 हिमालयी क्षेत्र को छोड़कर जहां यह 90:10 के अनुपात में है। संघ राज्य क्षेत्रों को 100% केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

(4) क्लासिकल स्वाइन ज्वर नियंत्रण कार्यक्रम (सीएसएफ-सीपी): यह रोग देश के पूर्वोत्तर भाग में सूअर पालन के विकास में एक बड़ी बाधा है जहाँ सूअर पालन अधिकांश घरों के लिए आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है। सूअरों में सीएसएफ रोग को नियंत्रित करने के लिए, क्लासिकल स्वाइन ज्वर के लिए टीकाकरण हेतु केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए केंद्र:राज्य के बीच निधियन पैटर्न 90:10 के अनुपात में है।

(5) राष्ट्रीय रिंडरपेस्ट निगरानी और मॉनिटरिंग परियोजना (एनपीआरएसएम): क्रमशः मई 2006 और मई 2007 में प्राप्त, रिंडरपेस्ट और संक्रामक बोवाइन प्लुरो-न्यूमोनिया (सीबीपीपी) संक्रमण से देश की मुक्ति की स्थिति को बनाए रखने के लिए निगरानी को मजबूत करने हेतु सहायता दी जाती है। राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए निधियन पैटर्न 100% केंद्रीय सहायता है।

(6) व्यावसायिक दक्षता विकास (पीईडी): भारतीय पशु चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1984 के अंतर्गत राज्य पशु चिकित्सा परिषदों और भारतीय पशु चिकित्सा परिषद (वीसीआई) को अपने वैधानिक कार्यों को करने के साथ-साथ सेवारत पशु चिकित्सकों के लिए सतत पशु चिकित्सा शिक्षा (सीवीई) को चलाने के लिए सहायता दी जाती है। केंद्र:राज्य के बीच निधियन पैटर्न 50:50 केंद्र है सिवाय संघ राज्य क्षेत्रों के जहां केंद्रीय सहायता 100% है।