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डेयरी कार्यकलापों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की सहायता (एसडीसीएफपीओ)

2017-18 के दौरान “डेयरी कार्यकलापों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की सहायता” नामक योजना शुरू की गई थी। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा योजना को लागू किया जा रहा है। किसानों को एक स्थिर बाजार तक पहुंच प्रदान करने के लिए डेयरी कार्यकलापों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को सक्षम बनाने के लिए कार्यशील पूंजी हेतु सुलभ ऋण प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पास स्थायी रूप से रखे गए 300 करोड़ रु. के कॉर्पस का उपयोग किया जाएगा।


योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं: - 

  • (i) गंभीर प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट से निपटने के लिए सुलभ कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करके डेयरी कार्यकलापों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की सहायता करना।
  • (ii) डेयरी किसानों को स्थिर बाजार तक पहुंच प्रदान करना।
  • (iii) डेयरी कार्यकलापों में लगी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को किसानों को बकाया भुगतान समय पर जारी करने के लिए सक्षम करना।
  • (iv) फ्लश सीजन के दौरान भी, किसानों से लाभकारी मूल्य पर दूध खरीदने के लिए डेयरी कार्यकलापों में लगी सहकारी और किसान उत्पादक संगठनों को सक्षम बनाना।

डेयरी सेक्टर पर कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव के कारण, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने डेयरी सेक्टर पर अपनी योजना "डेयरी गतिविधियों में लगे सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की सहायता” (एसडीसी एंड एफपीओ) के तहत एक घटक के रूप में "डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज छूट" नामक एक नया घटक शुरू किया है। दूसरे अन्य घटक, नामतः "कार्यशील पूंजी ऋण" जिसके तहत कॉर्पस से निधियां दी जानी थीं, को अस्थायी रूप से 2020-21 के दौरान निलंबन में रखा गया था।